पिछले कुछ महीनों में इंडियन शेयर मार्केट में काफी गिरावट आयी है। SENSEX और निफ़्टी 50 दोनों अपने उच्तम स्तर से करीब 13 प्रतिशत नीचे हैं। इस दौरान कुछ स्टॉक्स के प्राइस में 20 प्रतिशत की गिरावट आयी है तो वहीं कई स्टॉक्स 40 प्रतिशत से अधिक टूट गए हैं। इस वोलैटिलिटी के बीच SIPs यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान जो की लोंगटर्म इन्वेस्टिंग की आधारशीला है , इसपर कई चिंतित निवेशक सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, इतिहास और एक्सपर्ट की अंतर्दृष्टि से पता चलता है कि सही रास्ते पर बने रहने, रणनीतियों को अपनाने और बाजार में गिरावट का लाभ उठाने से लोंगटर्म वेल्थ क्रिएट हो सकता है .....

यहां भारत की यूनिक डायनामिक पर फोकस करते हुए , गिरते बाजार में SIPs के बारे में बताया गया है।
Embrace Rupee Cost Averaging : Buy More at Lower Prices
एसआईपी उतार-चढ़ाव पर फलते-फूलते हैं। जब बाजार गिरते हैं, तो आपका निश्चित मासिक निवेश कम नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) पर अधिक यूनिट खरीदता है। उदाहरण के लिए, यदि आप ₹10,000 मंथली निवेश करते हैं और एनएवी ₹500 से ₹400 तक गिर जाता है, तो आप 20 के बजाय 25 यूनिट जमा करते हैं। समय के साथ, यह एवरेज आपकी प्रति यूनिट कुल लागत को कम करता है, जिससे रिकवरी के दौरान लाभ बढ़ता है।
अगर हाल के ही रियल एग्जाम्पल ले तो 2020 के कोविड क्रैश के दौरान, निफ्टी में 40% की गिरावट आई, लेकिन जिन निवेशकों ने SIPs जारी रखा, उनके पोर्टफोलियो में अगले वर्षों में 200-400% की उछाल देखी गई। इसी तरह, 2008 के संकट के दौरान शुरू किए गए एसआईपी ने 15 वर्षों में 16-27% एनुअल रिटर्न दिया।
Focus on Long-Term Fundamentals
भारत की संरचनात्मक वृद्धि की कहानी बरकरार है। प्रमुख संकेतक इन्वेस्टिंग में बने रहने का समर्थन करते हैं :
- Earnings Growth : निफ्टी 50 कंपनियों ने वित्त वर्ष 26 तक 12-23% आय वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिससे लंबी अवधि में शेयरों में तेजी आएगी।
- Attractive Valuations : निफ्टी का वर्तमान pe रेश्यो 19 है जो इसके 10-वर्षीय औसत (23.5) से नीचे है, जो कम मूल्यांकन का संकेत देता है।
- Sectoral Strength : बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र , जो बाजार मुनाफे में 40% का योगदान देता है, 13% वार्षिक की दर से बढ़ रहा है, जो स्टेब्लिटी और कंपाउंड क्षमता प्रदान करता है
Rebalance and Diversify Your Portfolio
बाजार में सुधार से उच्च जोखिम वाली संपत्तियों में अत्यधिक निवेश की संभावना उजागर होती है। क्यूंकि कुछ स्टॉक्स के प्राइस में 20 प्रतिशत की गिरावट आयी है तो वहीं कई स्टॉक्स 40 प्रतिशत से अधिक टूट गए हैं।
Avoid Emotional Pitfalls
रिटेल निवेशक अक्सर मंदी के दौरान घबरा जाते हैं, जिसके कारण एसआईपी रद्द हो जाते हैं या लीवरेज्ड दांव लगा लेते हैं। इसलिए आपको अपने इमोशन पर कण्ट्रोल करके निवेश करना चाहिए।