ETF vs Mutual Fund : अगर आप शेयर बाजार में शुरुआती दौर में कुछ सीखना चाहते हो तो आपको शुरुआती दौर में आपको एकदम कम रिस्क लेके इन्वेस्टिंग शुरू करने के लिए इंडेक्स फण्ड , ETF , Mutual Fund इत्यादि में इन्वेस्ट करना चाहिए और साथ साथ शेयर बाजार में अपनी माइंडसेट , फंडामेंटल एनालिसिस , टेक्निकल एनालिसिस , रिस्क मैनेजमेन्ट इत्यादि के बारे में सीखना चाहिए। इस पोस्ट में ETF vs Mutual Fund के बारे में हमलोग जानने वाले हैं।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ/ETF) क्या होता है?
ETF का मतलब है ” एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड ” । यह एक प्रकार का निवेश फण्ड होता है जो शेयर बाजार में ट्रेड होता है , बिलकुल एक स्टॉक की तरह। ईटीफ मल्टीपल स्टॉक्स ,बांड्स , कमोडिटीज या अन्य एसेट्स के कलेक्शन को रेप्रेजेंट करता है। ईटीफ को खरीदने और बेचने के लिए आपको स्टॉक् एक्सचेंज पर ट्रेड करना होता है। ये इन्वेस्टर्स को डाइवर्सिफिकेशन और लो कॉस्ट निवेश का ऑप्शन देते हैं।
म्यूच्यूअल फण्ड क्या होता है ?
म्यूच्यूअल फण्ड एक निवेश वाहन होता है जिसमे बहुत सारे निवेशक अपने पैसे जमा करके एक फण्ड में निवेश करते हैं। यह फण्ड इक्विटी शेयर्स ,बांड्स हुए अन्य फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है। म्यूच्यूअल फण्ड के अंदर हर निवेशक को यूनिट्स मिलते हैं , जिनकी कीमत को नेट एसेट वैल्यू ( NAV ) के हिसाब से तय किया जाता है। म्यूच्यूअल फण्ड निवेश के माध्यम से निवेशक डायवर्सिफिकेशन और प्रोफेशनल फण्ड मैनेजमेंट का लाभ ले सकते हैं।
ETF Vs Mutual Fund
ETF को शेयर बाजार में ट्रेड किया जा सकता है | म्यूच्यूअल फण्ड को डेली NAV के हिसाब से ख़रीदा और बेचा जा सकता है। |
इसकी कीमत बाजार द्वारा निर्धारित होती है। | इसकी प्राइस NAV के हिसाब से निर्धारित होती है |
ईटीएफ के लिए कोई न्यूनतम लॉक-इन अवधि नहीं है। | म्यूचुअल फंड में भी लॉक-इन अवधि नहीं होती है लेकिन एक निकास शुल्क हो सकता है जो जल्द रिडेंप्शन के लिए लगाया जाता है। |
ETF को खरीदने और बेचने के लिए निवेशकों को एक ब्रोकर की मदद लेनी पड़ती है। | इसमें निवेश करने के लिए निवेशकों को एक निवेशक केंद्र (AMC ) की मदद लेनी पड़ती है। |
इसकी buying और selling पर कम fees लगते हैं। | इसमें निवेश के लिए किराया और अन्य फीस हो सकते हैं , जिसे निवेशकों को अदा करना पड़ता है। |
इस पोस्ट के जरिये हमने आपको ETF Vs Mutual Fund के बारे में मुख्य बातें बताने की कोशिस की है जो की शुरुआती दौर में निवेशकों को ध्यान में रखते हुए निवेश करना चाहिए। इससे होगा यह कि आप शुरुआती दौर में अपने कैपिटल को प्रोटेक्ट करते हुए कम रिस्क लेकर कैपिटल गेन कर पाओगे और मार्केट में अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए टाइम दे सकोगे।