स्टॉक मार्केट trading in hindi | ट्रेडिंग का पूरा concept beginners के लिए

इस ब्लॉग में आपको ट्रेडिंग का पूरा concept बताया जायेगा

ट्रेडिंग का अर्थ क्या होता है ?

शेयर मार्केट में स्टॉक को खरीदना और बेचना ट्रेडिंग कहलाता है | जब शेयर को कम प्राइस में खरीदकर ज्यादा प्राइस में बेचा जाता है तो ट्रेडर को प्रॉफिट होता है |

ट्रेडिंग  का पूरा concept

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं ?

  • Day ट्रेडिंग : ट्रेडिंग के इस रूप में शेयर को एक ही दिन में खरीद कर बेचना होता है | शेयर बाजार के संदर्भ में एक दिन का मतलब सप्ताह के दिन (बाजार की छुट्टियों को छोड़कर) सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक है | ऐसे ट्रेडिंग में शामिल एक ट्रेडर्स को दिन के बाजार बंद होने से पहले अपना लेनदेन बंद करना होगा। इसे इंट्राडे ट्रेडिंग के नाम से भी जाना जाता है |

  • scalping : इसे माइक्रो-ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है। स्कैल्पिंग और डे-ट्रेडिंग दोनों इंट्राडे ट्रेडिंग के सबसेट हैं। स्कैल्पिंग में एक ही बाज़ार दिवस में एक दर्जन से लेकर सौ मुनाफ़े तक बार-बार छोटे मुनाफ़े कमाना शामिल है।

  • स्विंग ट्रेडिंग : यह एक वित्तीय ट्रेडिंग है जिसमे ट्रेडर्स शेयर , कमोडिटीज इत्यादि को एक छोटे से समय के लिए खरीदते और बेचते हैं | जैसे कि कुछ दिनों , हफ्तों या महीनों के में | इस प्रकार की ट्रडिंग का मुख्य उद्देश्य होता है की ट्रेडर्स को छोटी छोटी मूल्यान्तर में मुनाफा कमाने का अवसर प्राप्त हो सके |

  • ऑप्शन ट्रेडिंग :

ऑप्शन ट्रेडिंग एक प्रकार की वित्तीय ट्रेडिंग है जिसमें निवेशक एक विशिष्ट किस्म के विनिमय या अनुबंधित संरचनाओं का उपयोग करके ट्रेडिंग करते हैं। यह किसी निर्धारित समय अवधि के लिए एक संपत्ति को खरीदने या बेचने की सुविधा प्रदान करता है, लेकिन इसमें कोई आवश्यकता नहीं होती है कि संपत्ति को वास्तविक रूप से खरीदा या बेचा जाए। इसके बजाय, विनिमयकर्ता एक निश्चित मूल्य पर संपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार रखता है, जिसे “ऑप्शन” कहा जाता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
  1. कॉल ऑप्शन (Call Option): जब एक निवेशक एक स्टॉक को निश्चित मूल्य पर खरीदने का अधिकार रखता है, तो उसे कॉल ऑप्शन कहा जाता है। यदि शेयर की कीमत ऑप्शन की मूल्य से अधिक होती है, तो निवेशक लाभ कमा सकता है।
  2. पुट ऑप्शन (Put Option): जब एक निवेशक एक स्टॉक को निश्चित मूल्य पर बेचने का अधिकार रखता है, तो उसे पुट ऑप्शन कहा जाता है। यदि शेयर की कीमत ऑप्शन की मूल्य से कम होती है, तो निवेशक लाभ कमा सकता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में, निवेशक केवल एक नियमित फीस का भुगतान करता है, जो ऑप्शन की लेनदेन के लिए होता है, जिसका मतलब है कि वे केवल नियत मूल्य पर खरीदने या बेचने का अधिकार रखते हैं, न कि वास्तव में संपत्ति को खरीदते हैं या बेचते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग का उदाहरण शेयर बाजार में ही होता है, लेकिन इसका उपयोग अन्य वित्तीय निवेश में भी किया जाता है।

  • Future trading :

फ्यूचर ट्रेडिंग एक वित्तीय विनिमय प्रणाली है जिसमें निवेशकों को किसी निश्चित मूल्य पर एक निर्धारित तिथि पर एक विशिष्ट संपत्ति की खरीददारी और बिक्री करने की सुविधा प्रदान करता है। इसमें निवेशक एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करता है जिसमें निर्धारित मूल्य पर एक संपत्ति की खरीददारी या बिक्री करने का समझौता होता है। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों को मूल्य वृद्धि या कमी के संदर्भ में आगामी मूल्य की पूर्वानुमान करना होता है। future ट्रेडिंग बाजार में निवेशकों को निष्पक्ष और निष्प्रभाव उत्पादों की खरीददारी और बिक्री करने की सुविधा प्रदान करता है, जैसे कि कमोडिटी, मुद्रा, या शेयर। इसमें निवेशकों के बीच संदिग्धता को कम करने के लिए एक सुरक्षा प्रणाली होती है, जो निवेशकों को अनिवार्य रूप से संवर्धित और सुरक्षित रखती है।

यह कुछ प्रमुख ट्रेडिंग के टाइप्स है , लेकिन शेयर बाजार में अन्य भी कई विभिन्न तकनीक हो सकती है |

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग कैसे शुरू करें ?

अगर आप शेयर मार्केट के ट्रेडिंग का पूरा concept समझ चुके हो और ट्रेडिंग करने का मन बना चुके हो तो आपको नीचे दिए गए दिशा निर्देशों को step by step follow करना चाहिए –

  • अपने आप को शिक्षित करें :

ट्रेडिंग शुरू करने से पहले स्टॉक मार्किट के बेसिक को सीखे | शेयर मार्केट कैसे काम करता है , विभिन्न प्रकार के investment और रिस्क मैनेजमेंट strategies | क्यूंकि बिगिनर्स इसी बात पर ध्यान नहीं देते जिसके कारण 99% beginners ट्रेडर्स को 90 दिनों के अनादर उनके ट्रेड करने के लिए कैपिटल तक नहीं बचता है | इसीलिए पहले आप खुद को शिक्षित करें | इसके लिए आप ऑनलाइन किताबें , कोर्सेज इत्यादि का सहारा ले सकते हो |

  • अपने Financial लक्ष्य निर्धारित करें :

अपने फाइनेंसियल लक्ष्य के ऑब्जेक्टिव को सेट करें | आप किसलिए ट्रेडिंग करना चाहते हो ? रिटायरमेंट के लिए , कुछ महंगी चीजे खरीदने के लिए या पैसिव इनकम के लिए | फाइनेंसियल गोल्स को समझने से आप एक उपयुक्त रणनीति फॉलो कर सकते हैं |

  • रिस्क मैनेजमेंट :

आप एक ट्रेड में कितना रिस्क ले सकते हो , एक दिन में कितना लॉस सह सकते हो इसकी समझ आपको ट्रेडिंग शुरू करने से पहले होनी चाहिए क्यूंकि ट्रेडिंग में सिर्फ प्रॉफिट ही होगा यह जरुरी नहीं है | इसीलिए अपनी आयु , फाइनेंसियल स्थिति , अनुभव और साइकोलोजी जैसे कारको को ध्यान रख कर ये फैसला लें |

  • ब्रोकरेज अकाउंट खोलें :

अपनी आवस्यकताओं के अनुसार समान ब्रोकरेज फर्म चुने | जैसे ऑनलाइन ब्रोकरेज की बात करें तो Zerodha , एंजेल one , groww इत्यादि | सभी कारक को ध्यानपूर्वक देखे जैसे कि कमिशन फीस , अकाउंट मिनिमम , ट्रेडिंग प्लेटफार्म टूल्स और कस्टमर रिसोर्सेज इत्यादि | उसके बाद आपको अकाउंट ओपनिंग प्रोसेस फॉलो करके अकाउंट ओपन कर लेना है और फण्ड ट्रांसफर करना है | याद रखे अभी आप शेयर मार्केट में न्यू हो इसलिए आप कम फण्ड से ही स्टार्ट करो |

  • अपने पोर्टफोलियो को diversify करे :

ऊपर बातये गए ट्रेडिंग के टाइप्स में कुछ में ये लागु होती होती है इसलिए इसे भी ध्यान रखे |

  • लगातार सीखें और अनुकूलन करें :

स्टॉक market दिन प्रति दिन बदलते जा रही है | इसलिए अपने आप को बार बार शिक्षित करते रहे अपने ट्रेडिंग स्ट्रॅटजी को नियमित से अनुसरण करते रहे |

ट्रेडिंग ka पूरा concept
  • अनुशासित रहें :

ट्रेडिंग एक दिन में नहीं सीखी जा सकती और न ही एक महीने में इसमें वक्त देना होगा आपको धैर्यपूर्वक एक ही ट्रेडिंग स्ट्रॅटजी को कम से कम 4 महीने तो देने ही चाहिए | और जब आपका सेटअप बने तभी आप ट्रेड करे अनावश्यक रूप से ट्रेड लेना , इमोशन के बेस पर ट्रेडिंग करना आपके लिए हानिकारक साबित हो सकती है , इससे बचे |

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